Transcendence

स्वामिनारायण अक्षरधाम ( दिल्ली ) What is inside Akshardham?

स्वामिनारायण अक्षरधाम

भारत की राजधानी दिल्ली में नवनिर्मित स्वामीनारायण अक्षरधाम एक अभिनव संस्कृति-तीर्थ है | यह अद्वितीय परिसर है - भारतीय कला, प्रज्ञा, चिंतन और मूल्यों का | यह एक समयातीत सर्जन है, जो भारतीय संस्कृति के ज्योतिधर भगवान श्री स्वामिनारायण ( सं १७८१ - १८३० ) की पुण्य स्मृति में रचा गया है | संतविभूति प्रमुख स्वामीजी महाराज द्वारा केवल पांच वर्ष में निर्मित यह विशाल परिसर, १०० एकड़ भूमि में फैला हुआ है | शांति, सौंदर्य एवं दिव्यता के इस परिसर में आपका हार्दिक स्वागत है |



सर्जक :- संतविभूति प्रमुख स्वामीजी महाराज (1921-2016)




गिनेस वर्ल्ड रिकॉर्ड




स्वामिनारायण अक्षरधाम ( दिल्ली ) को गिनेस वर्ल्ड रिकॉर्ड में विश्व के सबसे बड़े हिन्दू मंदिर संकुल के रूप में ६ नवम्बर, २००५ को स्थान प्राप्त हुआ है |

सं १९६८ में एक दिव्य महापुरुष योगीजी महाराज ने आशीर्वाद दिया था - ' यहाँ यमुना के तट पर भव्य आध्यात्मिक महालय बनेगा |' यह एक आर्षदर्शन था स्वामिनारायण अक्षरधाम का | दशकों के बाद ६ नवम्बर, २००५ को वह एक भव्य सृजन बना - विश्व वंदनीय प्रमुख स्वामी महाराज के द्वारा, जिन्होंने अपने गुरूजी के उस संकल्प को साकार किया |


प्रमुख स्वामी महाराज एक विरल संतविभूति है, जो भगवान स्वामिनारायण की गुणातीत गुरुपरम्परा के पांचवे गुरुदेव है | आदिवासियों से लेकर समस्त मानवजाति के नैतिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक उत्कर्ष के लिए जिन्होंने अपने आपको समर्पित कर दिया है | BAPS  स्वामिनारायण संस्था के सूत्रधार के रूप में सेवा के सभी क्षेत्रो में प्रदान अनन्य रहा है | हृदयस्पर्शी विनम्रता, सहजता एवं भगवत साक्षात्कार प्रमाण है |

जिससे इस दिव्य सत्संग से असंख्य लोगो ने आध्यात्मिक ऊंचाई प्राप्त की है |


संवाहक : BAPS स्वामिनारायण संस्था

स्वामिनारायण अक्षरधाम के निर्माण और संवाह का उत्तरदायित्व निभाया है - BAPS स्वामिनारायण संस्था ने | संयुक्त  राष्ट्र संघ द्वारा मान्यता प्राप्त यह संस्था एक आंतरराष्ट्रीय सामाजिक - आध्यात्मिक संस्था है, जो गत एक शताब्दी से मानव-सेवा में रत है | ३,८५० सत्संग केन्द्रो एवं १८,००० सत्संग सभाओ, १००० नवयुवा सुशिक्षित संतो, ५५००० स्वयंसेवको और लाखो अनुयायिओं के द्वारा यह संस्था शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, सामाजिक, नैतिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक आदि क्षेत्रो में अनेकविध मानव-सेवाओं में निरंतर प्रवृत है |

अक्षरधाम के आकर्षण



१. दश द्वार


यह दश द्वार दसो दिशाओ के प्रतिक है, जो वैदिक शुभकामनाओ को प्रतिबिंबित करते है : ' समग्र ब्रह्माण्ड में जो भी मांगलिक है, दिव्य है, वह दसो दिशाओ से हमारी और प्रवाहित हो, और हमारे हृदय से शुभततवो का सर्वत्र मंगल विस्तार हो | '


२. भक्ति द्वार


परंपरागत भारतीय शैली का यह प्रवेशद्वार आपको ले चलता है, भक्तिभाव के एक अनोखे विश्व में | भक्ति अर्थात परमात्मा के प्रति विशुद्ध प्रेम | सनातन धर्म परंपरा में भक्त-भगवान के दिव्य युगल भक्ति के आदर्शो का शास्वत बोध देते है | भक्ति एवं उपासना के ऐसे २०८ युगल स्वरूप इस भक्तिद्वार में मंडित है |


३. मयूर द्वार


भारत का राष्ट्रिय पक्षी मयूर सौंदर्य , संयम एवं शुचिता के प्रतिक  के रूप में भारतीयों का सर्वकालीन प्रिय पक्षी रहा है | अक्षरधाम के इस स्वागतद्वार  में परस्पर गुंथे गए भव्य मयूर तोरण एवं कलामण्डित स्तम्भों के ८६९ मयूर आनंदनृत्य कर रहे है, आपके सत्कार में | मयूरद्वार भारतीय शिल्पकला की सुन्दरतम कृति है |


४. श्रीहरि चरणारविन्द


दो मयूरद्वारो के मध्य में १६ मांगलिक चिन्हो से अंकित ये श्रीहरि -चरणारविन्द , इस धरा पर भगवान श्री स्वामिनारायण के दिव्य अवतरण की स्मृति में स्थापित किए गए है | श्वेत संगमरमर से शिल्पकृत इस श्रीहरि- चरणारविन्द पर चार शंखो द्वारा जलधाराओं का अभिषेक , भगवान स्वामिनारायण के ऐतिहासिक जीवन एवं कार्य के प्रति भावांजलि अर्पण करता है |


५. अक्षरधाम मंदिर


विशाल परिसर के केंद्र में है भव्य मंदिर अक्षरधाम | गुलाबी पत्थर और श्वेत संगमरमर के संयोजन से बनाये गए इस मंदिर में , २३४ कलमंडित स्तम्भ, ९ कलायुक्त घुमट-मंडपम, २० चतुष्कोण शिखर और २०,००० से भी अधिक कलात्मक शिल्प है | इसकी ऊंचाई १४१ फुट, चौड़ाई है ३१६ फुट और लम्बाई है ३५६ फुट | बिना लोह के रचे गए इस मंदिर में प्राचीन भारतीय स्थापत्य परंपरा को पुनर्जीवित किया गया है |


६. मूर्ति  (Garbh Gruh)


मंदिर के मध्य में भगवान स्वामिनारायण के पंचधातु से निर्मित स्वर्णमंडित ११ फुट ऊँची मूर्ति नयनाभिराम है | कलामण्डित सिंहासनो में विराजमान भगवान श्री लक्ष्मीनारायण, श्रीरामचन्द्र-सीताजी, श्रीकृष्ण-राधाजी और श्रीमहादेव-पार्वतीजी की संगमरमर की मुर्तिया दर्शनीय है |


७. मंडोवर





'मंडोवर' अर्थात मंदिर की बाह्य दीवार | इसकी कुल लम्बाई ६११ फुट और ऊंचाई २५ फुट है | गढ़े हुए ४२८७ पथ्थरो से निर्मित यह मंडोवर प्राचीन भारतीय नागराडी शैली के स्थापत्यों में सबसे बड़ा है | गहन अनुशोधन के पश्चात इसमें प्राचीन भारतीय महापुरुषों-ऋषियों-आचार्यो-देवताओ के ऐतिहासिक २४८ कलात्मक शिल्पो की स्थापना की गई है |

८. गजेंद्र पीठ















अक्षरधाम का भव्य  महालय १०७० फुट लम्बी गजेन्द्रपीठ पर स्थित है, जो ३००० टन पथ्थरो से निर्मित है और विश्व की एक मौलिक एवं अद्वितीय शिल्पमाल है | जिवंत कद के १४८ हाथियों की यह कलात्मक गाथा, प्राणी सृष्टि के प्रति एक विनम्र भावांजलि है | भारतीय बोधकथाओं, लोककथाओं, पौराणिक आख्यानों इत्यादि से ८० दृश्य यहाँ पथ्थरो में तराशे गए है, जो प्रेरक सन्देश देते है |


९. प्रदर्शन खंड १ : सहजानंद दर्शन






जहा रोबोटिक्स- एनोमेट्रिक्स , ध्वनि-प्रकाश, सराउंड डयोरमा आदि आधुनिकतम तकनीकों के माध्यम से श्रद्धा, अहिंसा, करुणा, शांति आदि सनातन मूल्यों की अद्भुत प्रस्तुति है | प्रत्येक प्रस्तुति नई अनुभूति और नया प्रेरणासंदेश देता है -भगवान् स्वामिनारायण के जीवन-प्रसंगो के द्वारा |


१० प्रदर्शन खंड २ : नीलकंठ दर्शन



महाकाव्य सी फिल्म , जो दिलद्यड़क दृश्यों के साथ गाथा सुनती है बालयोगी नीलकंठ की, जिन्होंने ७ वर्ष तक नंगे पैर १२,००० की.मि.भारत की पदयात्रा की थी | ८५ X  ६५ फुट के महाकाय चित्रपट पर देखे - १९ वि सदी के भारत की एक झलक | १०८ स्थलों पर फिंल्मांकन , ४५,००० पात्र और दिलद्यड़क दृश्यों की दृश्यावली आदि से यह फिल्म अधिभूत कर देती है | सत्य घटना पर आधारित इस फिल्म में भारत के तीर्थो, उत्सवों, सांस्कृतिक परम्पराओ और उच्च मूल्यों को प्रस्तुत किया गया है |


११. प्रदर्शन खंड ३ : संस्कृति विहार




१४ मिनिट के नौका विहार के दौरान १०,००० वर्ष पुराणी भारतीय संस्कृति की भव्यता की यहाँ एक अद्भुत झांकी मिलती है | ८०० पुतलो एवं कई संशोधनपूर्ण प्रमाणभूत रचनाओं से सरस्वती नदी के तट पर पनपी भारतीय संस्कृति का प्राचीन युग मानो यहाँ संजीवन हो गया है | विश्व की सर्वप्रथम यूनिवर्सिटी तक्षशिला, सुश्रुत का प्राचीन अस्पताल, नागार्जुन की रसायन प्रयोगशाला आदि के मध्य ले जाकर यह विहार, भारत के गौरवपूर्ण प्रदान एवं भव्य इतिहास को हमारी आँखों के समक्ष खड़ा कर देता है |


१२. यज्ञपुरुष कुंड, सहज आनंद वाटर शो 







लाल पत्थरो से निर्मित यह कुंड प्राचीन भारतीय कुंड परंपरा का विशालतम कुंड है | कमलाकर जलकुंड, प्रत्येक संध्या को अद्वितीय ' सहज आनंद वोटर शो " का मंच बन जाता है - जहा संगीतमय फव्वारे की लहरे, प्रकाश का हृदयगम संयोजन, लेसर किरणों का मनोहर नृत्य , विराट प्रोजेक्शन एवं हृदयस्पर्शी संवादों के साथ प्राचीन भारतीय उपनिषदों का आध्यात्मिक सन्देश प्रस्तुत होता है | कुंड के सामने स्थापित २७ फुट ऊँचा बालयोगी नीलकंठ ब्रह्मचारी का मनोहर धातुशिल्प प्रवित्र प्रेरणा देता है |


१३. नारायण सरोवर



वैदिक समय से भारत में प्रचलित जलतीर्थो की महिमापूर्ण परंपरा का अनुसरण करते हुए अक्षरधाम मंदिर की तीनो और इस नारायण सरोवर की रचना की गई है | पवित्र मानसरोवर से लेकर १४१ तीर्थो और नदियों के पवित्र जलसिंचन स यह नारायण सरोवर परम पवित्र तीर्थ बना है | जलतीर्थ की चारो और १०८ गौमुख से बहती पवित्र जलधराए भगवन के पावनकारी १०८ नमो का प्रतिक है |

१४. अभिषेक मंडपम




शुभकामनाओ  एवं प्रार्थनाओ के साथ दर्शक श्री नीलकंठ ब्रह्मचारी की मूर्ति पर गंगाजल से विधिपूर्वक अभिषेक कर धन्यता का अनुभव करता है |

१५. परिक्रमा


लाल पथ्थरो से निर्मित १५५ चतुष्कोण शिखरों, ११५२ स्तम्भों और १४५ झरोखो से युक्त दो मंजिली परिक्रमा अक्षरधाम की चारो और पुष्माला की तरह शोभायमान है |


१६. योगी हृदय कमलम





मनोहरी ढलान पर छाई हरि घास के मध्य में यह एक विशाल अष्टदल कमल है - पवित्र भावनाओ का | विश्व के महापुरुषों और धर्मशास्त्रों ने भगवान और मानव में दर्शाया हुआ असीम विश्वास यहाँ शिलालेखों में प्रस्तुत है |


१७. प्रेमवती आहारगृह

अंजता की अद्भुत कलासृष्टि के आह्लादक वातावरण में, विशाल प्रेमवती आहारगृह शुद्ध और ताजा भोजन एवं मधुर जलपान की सुविधा प्रदान करता है |


१८. अक्षरधाम हाट

विविध भाषाओंमे संस्कार प्रेरक धार्मिक साहित्य, भक्तिभाव प्रकटाते ऑडियो-विडिओ प्रकाशन, व्यू कार्ड्स , स्मरणिकाए, स्नेहियों को भेट देने योग्य स्मृति चिन्ह, अमृत हर्बल केर औषधिया तथा पूजा सामग्री इत्यादि आप यहाँ से क्रय कर सकते है |


१९. भारतीय उपवन - सांस्कृतिक उद्यान



अक्षरधाम के समक्ष २२ एकड़ में फैले भारत उपवन में ,ऊँची हरी ढलानों के बीचवृक्षो और पुष्प-पौधों  का कलात्मक अभियोजन किया गया है | यहाँ दोनों और भारत के महान व्यक्तिओ के ८ फुट ऊँचे ६५ कांस्य शिल्प, राष्ट्रिय गौरव की अनुभूति करते है | यहाँ से अक्षरधाम का दर्शन अत्यंत चित्ताकर्षक लगता है |




भारतीय संस्कृति की शान समान इस भव्य और दिव्य मंदिर के दर्शन करने जरूर पधारे |

आर्टिकल पसंद आया है तो इसे जरूर शेयर करे|
|

Comments

amazon

Popular Posts